मुंबई, 16 अगस्त, 2023 (महासागर समाचार डेस्क):
डीलिस्टिंग क्या है?
डीलिस्टिंग दरअसल स्टॉक एक्सचेंज से किसी प्रतिभूति को ट्रेडिंग और लिस्टिंग से हटाना है। किसी भारतीय सूचीबद्ध कंपनी के लिए प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया प्रतिभूति बाजार नियामक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) द्वारा नियंत्रित होती है।
सेबी (इक्विटी शेयरों की डीलिस्टिंग) विनियम, 2021 (डीलिस्टिंग रेगुलेशन) के अनुसार आवश्यक बहुमत के साथ पोस्टल बैलट और/या ई-वोटिंग के माध्यम से जब शेयरधारकों की मंजूरी और जहां कंपनी सूचीबद्ध है, उन स्टॉक एक्सचेंजों से सैद्धांतिक अनुमोदन प्राप्त हो जाने के बाद डीलिस्टिंग की प्रक्रिया में अगला महत्वपूर्ण कदम विस्तृत सार्वजनिक घोषणा और लैटर ऑफ ऑफर जारी करना है।
ऑफर डॉक्यूमेंट्स जारी होने के बाद बिडिंग मैकेनिज्म की शुरुआत होगी, जिसमें सार्वजनिक शेयरधारकों को डीलिस्टिंग मूल्य निर्धारित करने के लिए रिवर्स बुक बिल्डिंग (आरबीबी) प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर दिया जाएगा।
फिजिकल रूप में अथवा डीमैट रूप में इक्विटी शेयर रखने वाले सभी पात्र सार्वजनिक शेयरधारक रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। बोली/निविदा के विभिन्न चरणों और प्रासंगिक समयसीमा के साथ प्रस्ताव पत्र पात्र शेयरधारकों को उचित समय पर भेजा जाएगा। डीलिस्टिंग विनियमों के अनुसार, डीलिस्टिंग ऑफर को तब सफल माना जाएगा, जब डीलिस्टिंग ऑफर के माध्यम से स्वीकार किए गए इक्विटी शेयर, अधिग्रहणकर्ता (प्रमोटर और प्रमोटर समूह के अन्य सदस्यों के साथ) की शेयरधारिता को कंपनी की पेड-अप इक्विटी शेयर पूंजी के कम से कम 90 प्रतिशत तक ले जाते हैं।
कराधान का फ्रेमवर्क क्या है? भारत में मौजूदा कर कानूनों के तहत, किसी भारतीय कंपनी में इक्विटी शेयरों की बिक्री पर केपिटल गेन टैक्स लगता है। चाहे शेयरधारक निवासी हो या अनिवासी, किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध इक्विटी शेयर बेचने से कोई भी लाभ भारत में केपिटल गेन टैक्स के अधीन होगा। घरेलू स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से आयोजित डीलिस्टिंग प्रस्तावों में, स्टॉक एक्सचेंज द्वारा सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) एकत्र किया जाता है और शेयरधारक को देय राशि से काट लिया जाता है।
डीलिस्टिंग ऑफर से पहले, 12 महीने तक की अवधि के लिए शेयर रखने वाले शेयरधारकों के लिए, लाभ को शॉर्ट टर्म केपिटल गेन माना जाएगा और आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 111 ए के अनुसार 15 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। दूसरी तरफ, 12 महीने से अधिक समय तक शेयर रखने वाले शेयरधारकों को 1 लाख रुपए से अधिक के लाभ पर 10 प्रतिशित की दर से लॉन्ग टर्म केपिटल गेन टैक्स अदा करना होगा (आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 112ए और धारा 55(2)(एसी) के अनुसार)। इक्विटी शेयरों की बिक्री से भारत में एक अनिवासी को होने वाले पूंजीगत लाभ की करदेयता का मूल्यांकन आयकर अधिनियम के प्रावधानों के आधार पर किया जाता है अथवा अनिवासी भारतीय जिस देश का निवासी है, उस देश के साथ हमारे डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट के अनुसार होगा और यह भी निर्धारित शर्तों की संतुष्टि के अधीन है। ये कर दरें सरचार्ज, हेल्थ और एजुकेशन सेस की लागू दर के अधीन हैं। कर की दर और अन्य प्रावधानों में बदलाव हो सकता है।
यदि डीलिस्टिंग सफल होती है और शेष शेयरधारक जिन्होंने रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया में अपने शेयर नहीं दिए हैं, उनसे कर की उच्च दर ली जा सकती है क्योंकि उनके पास गैर-सूचीबद्ध शेयर होंगे।
रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया में भाग लेने के अन्य लाभ क्या हैं?
एक्वायर, जो कंपनियों को सफलतापूर्वक डीलिस्ट करने में कामयाब रहा है, को आकर्षक प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। कुछ मामलों में तो यह प्रीमियम 10 प्रतिशत से लेकर 200 प्रतिशत तक हो सकता है।
इनमें से कुछ डीलिस्टिंग ऑफर का विवरण इस प्रकार है-
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि डीलिस्टिंग की घोषणा के समय घोषित की गई न्यूनतम कीमत प्रबंधन द्वारा तय नहीं की जाती है; यह केवल एक्वायरर द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम मूल्य होता है और इसकी गणना डीलिस्टिंग विनियमों के अनुसार की जाती है। वास्तविक कीमत रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित की जाती है, जहां अधिक सार्वजनिक शेयरधारक पार्टिसिपेशन का मतलब है सार्वजनिक शेयरधारकों के साथ डीलिस्टिंग मूल्य निर्धारित करने के अधिक अवसर हासिल होना। हालाँकि, एक बार जब डीलिस्टिंग ऑफर अधिग्रहणकर्ता द्वारा स्वीकृत कर लिया जाता है, तो शेष पब्लिक शेयरहोल्डर्स जिन्होंने रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लिया है, उन्हें डीलिस्टिंग तिथि से कम से कम एक वर्ष के लिए अपने इक्विटी शेयरों को टेंडर करने का अधिकार है। कर की गणना के दौरान ऐसे शेयरों को असूचीबद्ध शेयरों के रूप में माना जाएगा।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि डीलिस्टिंग की घोषणा के समय घोषित की गई न्यूनतम कीमत प्रबंधन द्वारा तय नहीं की जाती है; यह केवल एक्वायरर द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम मूल्य होता है और इसकी गणना डीलिस्टिंग विनियमों के अनुसार की जाती है। वास्तविक कीमत रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित की जाती है, जहां अधिक सार्वजनिक शेयरधारक पार्टिसिपेशन का मतलब है सार्वजनिक शेयरधारकों के साथ डीलिस्टिंग मूल्य निर्धारित करने के अधिक अवसर हासिल होना। हालाँकि, एक बार जब डीलिस्टिंग ऑफर अधिग्रहणकर्ता द्वारा स्वीकृत कर लिया जाता है, तो शेष पब्लिक शेयरहोल्डर्स जिन्होंने रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लिया है, उन्हें डीलिस्टिंग तिथि से कम से कम एक वर्ष के लिए अपने इक्विटी शेयरों को टेंडर करने का अधिकार है। कर की गणना के दौरान ऐसे शेयरों को असूचीबद्ध शेयरों के रूप में माना जाएगा।
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